हमारे विपुल वैभव को करते हैं व्यक्त
शब्द अत्यन्त मूल्यवान और सशक्त :
मातृभू,
निष्ठा,
भ्रातृत्व।
हैं और भी :
अन्तर के स्वर
प्रतिष्ठा, आदर
अरे, यदि आप समझे यह सभी,
कि ये तो नहीं हैं केवल शब्द ही,
कैसी-कैसी यातनाओं से हम बचें, यह सही!
और ये तो नहीं हैं कोरे शब्द ही!
मूल रूसी से अनुवाद : रामनाथ व्यास ’परिकर’