ये आरंभ में शिक्षक थे। 1945 में राजस्व निरीक्षक के पद पर आये। इन्होंने हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं में रचना की। छत्तीसगढ़ी रचनाओं में श्री रामकथा (महाकाव्य), अब तो जागौ रे, डहर के कांटा (कहानी संग्रह), श्री कृष्ण कथा, सीता की अग्निपरीक्षा, डहर के फूल, अंधियारी रात (एकांकी), गजरा (काव्य संग्रह), नवा बिहान (एकांकी) आदि हैं। हिन्दी रचनाओं में वैदेही विछोह, युद्ध आमंत्रण, आह्वान (खण्डकाव्य), न्याय (नाटक), स्वतंत्रता के अमर सेनानी (खण्डकाव्य) इत्यादि हैं। इन्हें श्री राम कथा पर मध्य प्रदेश शासन का ईसुरी पुरस्कार मिला।