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लोरी / मुरली चंद्राकर

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(कारी में गाया गया)

सुत जबे सुत जबे लल्ला रे सुत जबे न
एसे मजा के रे बेटा मोर पलना मा सुत जबे
सपना के रानी रे बेटा मोर निदिया में आही न
मुन्ना राजा बर भैया रे पलना सजाही न
चंदा के पलना रे भैया मोर रेशम के डोरी न
टिमटिम चमके रे बेटा मोर सुकवा चंदैनी न
गजरा गुंथाये रे लल्ला मोर चम्पा चमेली न
पलना झुलाही रे बेटा मोर सखी अऊ सहेली न
ऐसे के बेरिया म भैया मोर रानी जब आही न
लोरी सुना के रे बेटा मोर तोला सुताही न