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गवना / मुरली चंद्राकर

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तिरिया जनम जी के काल
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

दाई के कोख, ददा के कोरा सुसकथे
बबा के खंधैया गोहराय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

संग-संगवारी फुलवारी सुसक रोथे
अंचरा ल, कांटा ओरझाय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

घाट घठौन्दा नदी नरवा करार रोथे
पथरा के, छाती फटजाय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

छोर के छंदना मया के डोरी ऐसे बांधे
खोर गली, देखनी हो जाय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

हाथ के मेहँदी सेंदुर मांग कुहकथे
नथनी, नजर लग जाय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

सैया के छैहा, बने गुईया एक पैया रेंगे
पौठा, डहर बन जाय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए

सैया के नांव, पैया म पैरी ल पहिरे
बैरी के, घांठा पर जाय
निठुर जोड़ी गवना लेवाए