Last modified on 5 नवम्बर 2016, at 03:40

हाशिया / राजा खुगशाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:40, 5 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजा खुगशाल |अनुवादक= |संग्रह=पहा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बाज़ार में
शेयर की तरह घटे नहीं
बढ़े नहीं उसके दाम

वह बिका नहीं
उसे किसी ने ख़रीदा नहीं
महानगर की जेब में वह
खोटे सिक्के की तरह पड़ा रहा

वह डिब्बे में बन्द
ऐसा वृत्त-चित्र है
जिसे पर्दे पर प्रदर्शन के लिए
प्रायोजक नहीं मिले

वह एक ऐसा हाशिया है
जो धीरे-धीरे फैलता गया
पूरे पन्ने पर।