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अदेह / शैलेन्द्र चौहान

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आँखों में

धुँआ

जैसे अन्धा कुआँ


सूरदास की आँखें
बगुला की पाँखें


तुमने मुझे छुआ
अंधेरे में
अदेह !


मैं उड़ा
झपटा मछली की
आँख पर


सूखे पोखर का
रहस्य
न मछली
न मछली की आँख


बस
सूखे कठोर
मिट्टी के ढेले