गाँव में हुआ जब
पहला खून,
पहली डकैती,
पहला बलात्कार
यद्यपि कुछ भी
पहली बार नहीं हुआ था
उनकी याददाश्त की
समय सीमा ही थी वह
सन्न थे सब
अवाक !
लगा था उन्हें आघात
भय से पीले पड़ने की
हद तक
धीरे-धीरे वे सहज हुए
फिर बाद को
उनकी संतानें
अभ्यस्त हो गईं
ऐसी वारदातों की