अच्छा होता
विस्मृत हो जातीं
सारी परिकथाएँ,
चमचम मनोहर वे
स्वप्निल द्वीप !
- यथार्थ चीर देता
- तलवार की धार से
- विगत और वर्तमान को
- दो भागों में
- ठहर जाती हवा
- छुप जाता चाँद
- हँसते रहते हम
अच्छा होता
विस्मृत हो जातीं
सारी परिकथाएँ,
चमचम मनोहर वे
स्वप्निल द्वीप !