बजने दो जल तरंग।
चली चलें संग-संग
अंग-अंग में उमंग
अपनी यह राजनीति
कर दें जो हल प्रसंग।
बजने दो जल तरंग।
बन्द करो जंग जंग
रचना है रूप-रंग
खोलेंगी शस्य-श्रोत,
यांग्सी, दोन, जमुन-गंग।
बजने दो जल तरंग।
25 सितम्बर 1955
बजने दो जल तरंग।
चली चलें संग-संग
अंग-अंग में उमंग
अपनी यह राजनीति
कर दें जो हल प्रसंग।
बजने दो जल तरंग।
बन्द करो जंग जंग
रचना है रूप-रंग
खोलेंगी शस्य-श्रोत,
यांग्सी, दोन, जमुन-गंग।
बजने दो जल तरंग।
25 सितम्बर 1955