हो रहा सुन्दर सबेरा।
बह रहा है वात शीतल,
हिल रहा जल, खिले शत-दल,
लीन नभ में हो रहा है —
रात्रि का बाक़ी अन्धेरा।
हो रहा सुन्दर सबेरा।
हो रहीं सच कल्पनाएँ
मिट चलीं नभ-सी व्यथाएँ,
सो गया दिनमान का अनुमान —
कर दीपक चितेरा।
हो रहा सुन्दर सबेरा।
लहलहाए खेत श्यामल,
पवन लेकर चला परिमल,
आ रहा आलोक खग सा —
छोड़ सपनों का बसेरा।
हो रहा सुन्दर सबेरा।