Last modified on 14 फ़रवरी 2017, at 12:46

प्रेमक्षुधा / विजय कुमार विद्रोही

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:46, 14 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय कुमार विद्रोही |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रीत संग नवजीवन कलरव
कसमस सौरभ प्रेम विभव
झिम रिमझिम उन्मद कानन
आ प्राणपवन महकाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा

पल पल अविकल सरस भाव
ज्यों शीतज्वार से तर अलाव
उपवन चेतन कर नय भर दे
तू छनन छनन मदमाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा

मधुबेला कर दे मुक्तपाश
है शशिप्रभा उन्मन उदास
अब केश खोल आदेश थमा
ये मेघमाल सरकाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा

चिरवियोग पतझड़ जीवन
आयुताप शापित तन-मन
निज यौवनघट की मधुरधार
इस जीवन में बरसाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा