Last modified on 4 मार्च 2017, at 09:32

चूड़ी / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:32, 4 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुप्रिया सिंह 'वीणा' |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जादू-हया-सितम छै कटार ई चूड़ी।
नारी सिंगार जीवनसार प्यार ई चूड़ी।

सजै बेटी हाथ नेह आरो लार ई चूड़ी।
बहू हाथोॅ में छै पूरे घर के भार ई चूड़ी।
दुल्हन के हाथ नाज-नखरेदार ई चूड़ी।
माय हाथोॅ में सजै तेॅ छै दुलार ई चूड़ी।

छै सेवा-त्याग-ममता के आधार ई चूड़ी।
क्रूर आँखो लेॅ बनै खुल्ला तलवार ई चूड़ी।
खाली घरोॅ के छेकै सच्चे सम्हार ई चूड़ी।
करै देशोॅ के रक्षा आरो तियाग ई चूड़ी।

जाय चाँद पर खिचै बड़ोॅ लकीर ई चूड़ी।
हर रूप, हर रंग, वेश रोॅ निखार ई चूड़ी।
धरती सें धैर्य लै केॅ होलै साकार ई चूड़ी।
दुनिया-जहान घूमी रूप के विस्तार ई चूड़ी।

बनी आग, ताप हरै, दानव के संहार ई चूड़ी।
पानी बनी केॅ मिलै छै अमृत धार में ई चूड़ी।
छै नारी के हाथ सृष्टि के पतवार ई चूड़ी।
हर रूप में मान-सम्मान के आधार ई चूड़ी।