Last modified on 4 मार्च 2017, at 09:37

गीत / सुप्रिया सिंह 'वीणा'

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:37, 4 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुप्रिया सिंह 'वीणा' |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बेटी ससुरे में रहियौ तोंय आन बनी केॅ,
सुख-चैन के बसंती विहान बनी केॅ।
रहियोॅ हमरोॅ हृदय के गुमान बनी केॅ।
सबके आशीशें बेटी, राम वर पैलकै,
माय आरो बाबू के प्रयासें रंग लानलकै।
रहियोॅ पति हृदय में तांये जान बनी केॅ।
बेटी ससुरे में रहियोॅ तोंय आन बनी केॅ।
पति रुख देखी आपनोॅ धरम निभैईहौ।
रीति आरोॅ प्रीति सें तोंय पिया केॅ रिझैहौ
पिया बगलौॅ में बैठियोॅ सम्मान बनी केॅ।
बेटी ससुरे में रहियोॅ तोंय आन बनी केॅ।
दुनोॅ कुलोॅ के तोंय मरजादा निभैईहौ।
चिर अहिवात के सबसें आशीष पहियोॅ,
पति के संग-संग चलिहोॅ तोंय चाँन बनी केॅ।
बेटी ससूरे में रहियोॅ तांेय आन बनी केॅ।