एक क्षण का
सुख रूपी बादल
बनकर
यदि तुम बरसते नहीं
तो आसान था
मेरे लिए
सूख जाना
मगर अब
मुश्किल है
बरसे पानी से
जमी काई का
बरसों यह
गीलापन सहना
और रेत बनकर
अस्थिर बहते रहना।
एक क्षण का
सुख रूपी बादल
बनकर
यदि तुम बरसते नहीं
तो आसान था
मेरे लिए
सूख जाना
मगर अब
मुश्किल है
बरसे पानी से
जमी काई का
बरसों यह
गीलापन सहना
और रेत बनकर
अस्थिर बहते रहना।