अमावस्या की शाम को
जाने किस
ख्याल मेँ खोई
दीवानी रात
आँखोँ मेँ कुछ ज्यादा ही
काजल डाल लेती है
शायद इसीलिए
उस रात
सियाह रात के खौफ से
फ़लक़ पर
चांद नहीँ निकलता है।
अमावस्या की शाम को
जाने किस
ख्याल मेँ खोई
दीवानी रात
आँखोँ मेँ कुछ ज्यादा ही
काजल डाल लेती है
शायद इसीलिए
उस रात
सियाह रात के खौफ से
फ़लक़ पर
चांद नहीँ निकलता है।