Last modified on 24 मई 2008, at 16:25

इस्लाह / गिरधर राठी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:25, 24 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरिधर राठी |संग्रह= निमित्त / गिरिधर राठी }} हमें भी एक ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमें भी एक दिन

एक दिन हमें भी

देना होगा जवाब


इसलिए

लिखें अगर डायरी

सही-सही लिखें

और अगर याचिका लिखनी है

लिखें समझ-बूझ कर


लेकिन अगर चैन न हो हमारा आराध्य

और हम रह सकें बिना अनुताप के

तब न करें स्याह ये

धौले-उजले पन्ने!