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खोयापन / गिरधर राठी

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आँखों के आगे रखी हुई

वह माचिस

खोजने पर मिलती नहीं

गोया सरे-आम छिपी रहने को व्यग्र

बेरुख़ और गुमसुम...


इस तरह हम जानते हैं कि चीज़ों का खो जाना

और उन का खोयापन

दरअसल दो अलग-अलग चीज़ें हैं


यह न तो सिर्फ़ हमारी नज़रों का धोखा है

न ही हमारे अपने खोए-

खोएपन का नतीजा