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सौन्दर्य प्रतियोगिता / गिरधर राठी

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एक नंगी औरत नाचती हुई

कहती है देखॊ

बंद करो रोना-और-धोना

मैं अबला नहीं

दीवार पर रंग मैं

मेरे पैर जादुई क़ालीन

घड़ी मैं कलाई पर


अकेली नहीं मैं

मैं ही बाज़ार


छोड़ो यह रोना-और-धोना


खड़ी मैं

उन्मुक्त

स्वयंवरा


मैं निरा अम्बार

नई नई चीज़ों का!