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योग / गिरधर राठी

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रहस द्वार पर

तनी मुट्ठियाँ

कवच टूटते

रोग-भोग में।


सहज। बावले।

थिर। उतावले।

दीवानेपन

मृत्यु-भोज में।


तपते सैकत

हिमशीतल कण

अचल विकल क्षण

उत्स-खोज में।


अगम-सुगम पथ

निरत-सुरत रथ

क्षर-अक्षर व्रत

योग-योग में।