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91 / हीर / वारिस शाह

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हीर आणके आखदी हस के ते अना झाल नी अंबड़ीये मेरीये नी
तैंनूं डूंघड़े खूह विच चा बोड़ां गल्ला नूं पिटयो बचड़ीये मेरीये नी
धी जवान जे किसे दी बुरी होवे चुप कीतियां चा नबेड़ीए नी
तैनूं वडा उदमाद<ref>पागलपन</ref> आ जागिया ई तेरे वासते मणुश सहेड़ीए नी
धी जवान जे निसे दी बाहर जाण लगे वस तां खूह नघेरीये नी
वारस शाह जीउंदे होण जे भैन भाई चाक चोबरां नांह सहेड़ीए नी

शब्दार्थ
<references/>