Last modified on 27 मई 2008, at 22:33

धनतेरस / अरुण कमल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:33, 27 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण कमल |संग्रह = सबूत / अरुण कमल }} आज धनतेरस है नए-नए बर...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज धनतेरस है

नए-नए बर्तन ख़रीदने का दिन

और आज ही हम अपने आख़िरी बर्तन लिए

घूम रहे हैं दुकान-दुकान


आने का सवाल क्या

जो कुछ पास था सब जा रहा है


देखो वे कितनी बेरहमी से थकुच रहे हैं

हमारे पुराने बर्तन

और सजा रहे हैं एक पर एक

अपने नए बर्तन!