Last modified on 31 मार्च 2017, at 13:46

भय / आभा पूर्वे

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:46, 31 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आभा पूर्वे |अनुवादक= |संग्रह=गुलम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज तो मैंने चाहा था
तुमसे प्यार की संपूर्णता
क्यों थरथरा गए तुम्हारे हाथ
संपूर्णता को समेटने में ।