जब कभी देखती हूँ
रेत पर चिकने
बालू का उभार
लगता है जैसे
किसी मुग्धा के
उन्नत उरोज।
चाहती हँू
सर रखकर
उम्र भर इसे
निहारती रहूँ ।
जब कभी देखती हूँ
रेत पर चिकने
बालू का उभार
लगता है जैसे
किसी मुग्धा के
उन्नत उरोज।
चाहती हँू
सर रखकर
उम्र भर इसे
निहारती रहूँ ।