समय पर दोहा (अंगिका)
समय बड़ा बलवान छै, मानै छै नै हार।
उचित काम करभो अगर, बाटें छै उपहार।।
समय निभाबै दोस्ती, अगर चलै जों साथ।
समय अगर बिपरीत छै, कुछ नै आबै हाथ।।
डिगलै नै जे पंथ सेॅ, पावै छै सम्मान।
समय निखारै आदमी, तोड़ै छै अभिमान।।
समय सदा समभाव सेॅ, दै छै सब पर ध्यान।
समय कर्म फल बांटतै, विधि के इहे विधान।।
खाली बातोॅ मेॅ समय, नै करियोॅ बरबाद।
काम समय के साथ में, करै काम आबाद।।
समय खिलाफोॅ मेॅ खड़ा, पैतै निश्चित हार।।
सीता भी वनवास मेॅ, खाय समय के मार।
रहै 'माधवी' नै समय, एक रँगे हर बार।
समय साथ जीतै कभी, कभी मिलै छै हार।।
शिक्षित सबकेॅ छै करै, अनुभव के रोॅ साथ।
समय दिखाबै पंथ छै, पकड़ी-पकड़ी हाथ।।
समय बनावै छै मनुज, धरती पर भगवान।
राम, कृष्ण, नानक बनै, समय करै गुणगान।।
कहै माधवी हे समय! करोॅ पाप के नाश।
कतना दिन सहतै कहोॅ, धरती सत्य विनाश।।