निर्दोष शरीरों और प्राणों के बीच धँसा है हत्यारा
हँसता रहता है
डराता है
खेलता है
मर्ज़ी से करता है हत्या
न्याय का कुटिल मंच रचते हुए
पब्लिक के बीच एक प्रस्तुति की तरह।
निर्दोष शरीरों और प्राणों के बीच धँसा है हत्यारा
हँसता रहता है
डराता है
खेलता है
मर्ज़ी से करता है हत्या
न्याय का कुटिल मंच रचते हुए
पब्लिक के बीच एक प्रस्तुति की तरह।