Last modified on 11 अप्रैल 2017, at 19:24

कथी बिनु कोसी मुँह मलिन भेलों / अंगिका

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:24, 11 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अंगिका }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कथी बिनु कोसी मुँह मलिन भेलों
कथी बिनु गुरमें शरीर ।
पान बिनु मुँहमा मलिन भेलै सेवक
मधु बिनु गुरमै शरीर ।
पनमा जे खेलियै सेवक, मुँहमां रंगेलियै हो,
लड्डू बिनु गुरमै शरीर ।
लडुआ जे देले मलहा हृदय जुड़ाएल,
पाठी बिनु डोलैये शरीर । रो पाठी
कर जोड़ी मिनती करै छी मैया कोसिके
देवौं गे माता पाठी देवौं भोगार ।
वेरिया परले कोसी माय कोई ना गौ गोहारी,
तहुँ न माय होइयो न सहाय,
गौ गरूआ के बेरि ।
गावल सेवक जन दुअ कर जोड़ि
गरू वेर होउ ने सहाय ।