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गीत / गोपालप्रसाद रिमाल

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बखत भयो यही हो बेला नजर उघारी हेरिदेऊ
त्यो दिलबाट तमस हटाई उज्यालो हावा फैलाइदेऊ
जो देख्छौ हालत भित्री तहको
तिमीलाई अन्य भनूँ म कसरी?
जो सुन्छौ आवाज भित्री मनको
तिमीलाई वैरी भनूँ म कसरी?
हे देवी दुर्गे, जगत्की आमा, पुकार हाम्रो सुनिदेऊ
हामी नेपाली हाम्रो यो भाव सबमा जगाइदेऊ।