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वियोग / निमेष निखिल

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मुटुभित्र तिमीलाई राखी सपना देखेँ हजार हजार
रगतमै औँला चोपी पत्र लेखेँ हजार हजार
विडम्बना ! तिमी फुल्यौ पराइको आँगनीमा
पाइतालाले चाहनाका मुना टेकेँ हजार हजार।