सूर्य अगर फूल होता
फिर पंखुड़ी होती आग
इस तरह हर फूल का
होता प्रकाश
और हर प्रकाश का
अपना रंग
ऐसे में जब-जब
जीवन में आता वसंत
हमें लगता
ढेरों सूर्य खिले हैं रंग भरे
और नाउम्मीदी की दिशा भी
उम्मीद की आग से
धधक उठी है एकबारगी।
सूर्य अगर फूल होता
फिर पंखुड़ी होती आग
इस तरह हर फूल का
होता प्रकाश
और हर प्रकाश का
अपना रंग
ऐसे में जब-जब
जीवन में आता वसंत
हमें लगता
ढेरों सूर्य खिले हैं रंग भरे
और नाउम्मीदी की दिशा भी
उम्मीद की आग से
धधक उठी है एकबारगी।