Last modified on 6 जून 2017, at 21:26

आं दिनां / कृष्ण वृहस्पति

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:26, 6 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण वृहस्पति |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आ दिनां
मनै सै रा सै उणियारा
एकसा'इ दीसै।

कदै कदै तो
धोखो खा जाऊॅ
अबार'इ तो मिल्या हा
अर करी ही अै री अै'इ बातां।
पण नीं
पै'ली तो कोई और ही हो
के ठाह ओई हो?

बां दिनां भी, ओई'ज हौवंतो हो
हरेक चैरे मांय
कीं न की हुवैंतो थारों
कदै नाक, कदै आखं
कदै होट तो कदै बाळ।
जे कीं नी हुवैंतो
तो भी म्हैं देख ई लिया करतो
कदै कपड़ा, कदै कान।