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सूरज / पवन शर्मा

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ऊगतो सूरज
जगतो सूरज

माळा फेरै
बगतो सूरज

धोरां सागै
रमतो सूरज

काम करै सो
तपतो सूरज

कुण देख्यौ है
थकतो सूरज

बरसै आभौ
हंसतो सूरज

कनका नै देख
निबतो सूरज

सगळां रा दुख
हरतो सूरज

कैवै कीं नीं
संकतो सूरज

भूखौ-तिरसो
तकतो सूरज

सोवै कद हो
चलतो सूरज

म्हैं नीं देख्यौ
थमतो सूरज

कद कैवै मा
लड़तो सूरज

म्हानै दीसै
गमतो सूरज

बात ‘पवन’ सूं
करतो सूरज।