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थांरी मुळक / गौरीशंकर

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थांरी मुळक सूं
म्हारौ खेत
हांसण लागग्यो
सांची
खेत में बीज्योड़ी फसल
ओसरड़कै चढ़गी
सांची
सोचूं
थै
म्हारै खेत में आय’र
गीत उगैरद्यो
तो कांई होसी।