Last modified on 14 जून 2017, at 08:06

गुवाळिया / रचना शेखावत

दिनूगै जावै गुवाळिया
सिंझ्या पूठा आवै इज है
थूं गयो हो गायां लेय
सूना करग्यो मन रो आंगणों
पाछो बावड़्यो नीं
चेतन नीं होयो दिवलो
नीं होयो च्यानणों।