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प्रेम / अशोक शुभदर्शी

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नै देखै छै कुछ्छु
पत्थर केरोॅ आँखी

आँखें रंग होय केॅ भी
नै होय छै आँख
पत्थर केरोॅ आँख

मतुर
आँखी केॅ पथरैबोॅ
नै छेकै
आँखोॅ केॅ पत्थर होय जैबोॅ।