Last modified on 23 जून 2017, at 10:13

ब्याधा / अशोक शुभदर्शी

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:13, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शुभदर्शी |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चिड़ियां जियै छै
उड़ै लेली
चिड़िया उड़ै छै
जियै लेली

छूट भी छै
चिड़िया केॅ उड़ै के
उड़ोॅ
जतनां उड़ेॅ सकेॅ ऊ
ओकरा कोय नै रोकतै
अपनोॅ पंख फैलाबै सें

आसमान तेॅ ओकरोॅ अपनोॅ छेकै
नदी सब भी बहै छै ओकरैह लेली
झरना बहै छै ओकरैह लेली
सौसे जंगल छेकै ओकरे
हवा दै छै, हवा ओकरा

सभ्भैं चाहै छै कि
चिड़िया बनलोॅ रहॅे चिड़िया
अपनोॅ जिनगी भर
खाली एक ब्याधा केॅ छोड़ी केॅ।