Last modified on 23 जून 2017, at 10:16

स्मृति / अशोक शुभदर्शी

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:16, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक शुभदर्शी |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रिक्त करी देलकै
जबेॅ तोरोॅ विरह नें हमरा
एकदम्मे सें
आरोॅ हमरोॅ पास कुछ्छु नै बचलै
हमरोॅ आँसू केरोॅ सिबाय
तबेॅ मारलियै हम्में
अपना केॅ
तोरोॅ स्मृति सें
कैन्हें कि
कोय उपाय नै छेलै हमरा पास
ई दुखदायी रिक्तता केॅ
मरै के
आरोॅ कोनोॅ दोसरोॅ ।