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कहमा उपजल कोसिका / अंगिका

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कहमा उपजल कोसिका
आलरि-झालरि गुअबा हेऽ
कहमा पाकल बीड़ा पान
तिरहुत उपजल कोसि माय
झालरि गुअबा हेऽ
मोरंग उपजल पाकल बीड़ा पान
कथी कांति कतरब कोसि माय
झालरि गुअबा हेऽ
कथी कांति कतरब पाकल बीड़ा पान
सोना कांति कतरब कोसि माय
झालरि गुअबा हेऽ
रूपा कांति कतरब पाकल बीड़ा पान
पान लिऔ पान लिऔ
रैया रनपाल हो
जाहो हो रनपाल मोरंग सन राज
साधियो मे साधियो रनपाल
मथुरा गुंजन कौल
कइसे हम लेबै कोसी माय
पाकल बीड़ा पान हेऽ
मैया हे बिना साधले
मथुरा गुंजन कौल
मथुरा गुंजन बड़ हे जुझार
जाहो जाहे रनपाल साधहो
मथुरा गंुजन कौल
बेर बखत पड़ितै तू लिहऽ
कोसिका के नाम
एक कोस चलले रनपाल
दोसर कोस चलले
तेसर कोस जूमि गेलै मोरंग राज
कोसिका सुमैर के भिड़ले रनपाल
लगाबे बान काछ हेऽ
काटि सिर मथुरा के फेंके रनपाल
गिरे सिर कोसिका लगीच हेऽ
गाबल सेवक दुहु कल जोड़ि
बिपति बेरिया मइया होय न सहाय ।