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अकथ कथा / संजय पुरोहित

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थारै नैणां झरता
आंसूड़ां सूं ठुमकती
म्हारी आस री बाट
थारै आंसूड़ा री सी‘ल सूं
ऊजळती जोत
थांरी म्हारी प्रीत री
अकथ कथा रचैला
कथैला कोई बावळो
उण नै
बांचैला कोई सांवरो
बांचतां ई
नीवड़ जावैला
नेह री आ गाथा
अंधारै री रिंधरोई में
भेळी हो जावैला
उण टोळी में
जिण रो
इतिहास रै पान्नां में
नीं लाधैला कठैई
कोई जिकर
रत्ती भर।