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मनुष्यशक्ति / नरेश सक्सेना

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कितना कोयला होगा मेरी देह में

कितनी कैलोरी कितने वाट कितने जूल

कितनी अश्वशक्ति

(मैं इसे मनुष्यशक्ति कहूंगा)

कितनी भी ठंडक हो बर्फ़ हो

अंधेरा हो

एक आदमी को गर्माने भर के लिए एक बार

तो होगा ही काफ़ी

अब एक लपट की तलाश है

कोयले के इस छोटे से गोदाम के लिए।