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म्हारो गांव : दो / ओम पुरोहित ‘कागद’

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पाणीं रो टोटो
पण
प्रीत रा पीवै
भर-भर प्याला
म्हारो गांव!

अठै मिटै
जुगां री तिरस

जणांई भंवै मिरग
थळ री देह
सोधता अदीठ जळ
जिण नै पीयां
मिलै मुगती
भव बंधन सूं
म्हारै गांव में!