Last modified on 28 जून 2017, at 17:45

कागलो / मधु आचार्य 'आशावादी'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:45, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुंडरै पर कागलो आयो
फेरूं बडेरां री याद आई
बां री साख
बां री रीत
बां रो प्रेम
हेत
अर खेत
जिण खातर बडेरां री जान गई
उणी खेत री
मुंडेर आयो कागलो
जद -जद बो आवै
बडेरां री याद दिरावै
हेत माथै
जाणै फावड़ो चलावै ।