Last modified on 28 जून 2017, at 17:47

दिवलो / मधु आचार्य 'आशावादी'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:47, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रात अंधारी
काळी -पीळी आंधी
दूर-दूर तांई सरणाटो
केई बार देखां
पण घर मांय सूं
उण अंधारी रात मांय
बो जागै अेकलो
म्हारो दिवलो
बाती बुझ जावै
पण बो
आंधी साम्हीं खड़ो रैवै
गीत उजाळै रा गावै
जीवण री नूंवी
सीख बतावै ।