Last modified on 28 जून 2017, at 17:49

हंसग्यो / मधु आचार्य 'आशावादी'

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 28 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उण दिन
बो पैली बार मुळक्यो
जाणै आभै मांय
मोटो तीणो हुयग्यो
आज तांई
उणनै कदैई नीं आई हंसी
हरेक नै देखतो आंख्यां फाड़
पण खाली देखतो
कीं नीं बोलतो
पण आज तो गजब हुयग्यो
बो खाली देख्यो
अर हंसग्यो
म्हैं कनै पूग्यो तो देख्यो
बो काच साम्हीं ऊभो हो
उण मांय खुद नै ई देख ‘र
हंस रैयो हो।