Last modified on 8 जुलाई 2017, at 16:06

बातां : तीन / ॠतुप्रिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:06, 8 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=सपनां...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

थूं
बीमार
थारी लापरवाही सूं
ठीक होवणौ चावै
तद
नां डर

टैम काड
खुद सारू
अर
प्रकृति नै दिखा
जिकी
सैं’ सूं बड्डी डाकधर।