Last modified on 8 जुलाई 2017, at 16:43

बीज अर धरा / ॠतुप्रिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:43, 8 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ॠतुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह=सपनां...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


बीज आवै
आपरै रूप में
धरा री
देह सूं बारै
तद ई
पत्थरां री
पक्की भींतां बिचाळै
देखां
हरियल रूंख।

धरा अंगेजै
सींचै
दिखावै आपरी माया
अर सिखावै
जीणै रौ ढंग।