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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग / अनिमेष कुमार

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ज्योतिर्लिंग केरोॅ शुरुआत के
एगोॅ पौराणिक कथा प्रसिद्ध छै।
कथा के अनुसार
राजा दक्ष आपनों सत्ताईस बेटी केरोॅ
बीहा चन्द्र देव से करनै छेलै।
सत्ताईस जनानी केरोॅ दुल्हा बनी
चन्द्र देव खूब हर्खित छेलै।
सबठो जनानियों सिनी है बीहा से
खूब हर्खित हो रहलो छेलै।
सबठों कनियानी में सें
चन्द्र देव सबसे बेसी रोहिंणी पर
मोहित छेलै।
जबै है बात राजा दक्ष के पता चललै
तेॅ हुनी चन्द्र देव के समझैलकै
मतरकि चन्द्र देव पर कोय असर नै पड़लै
उल्टे हुनको रोहिंणी से
आसक्ति बढ़ी गेलै।
जबै है बात राजा दक्ष के मालूम होलै
तेॅ हुनी चन्द्र देव के शाप दे देलकै।
जो! तोय आझू से क्षय रोग केरोॅ
रोगी बनी जैबै।
हुनको शाप से चन्द्र देव
क्षय रोग से ग्रसित हो गेलै।
हेकरोॅ बाद चन्द्र देव केरोॅ
सम्मान आरोॅ प्रभाव में
घोर कमी आवी गेलै।
शाप से मुक्ति पावै लेली
चन्द्र देव, भगवान ब्रह्माजी केरोॅ
शरण में गेलै।
शाप से मुक्ति वास्तै
ब्रह्मदेव ने एगोॅ उपाय बतैलकै
कि जौन जगहों पर सोमनाथ मंदिर छै।
हौ जगह पर जाय केॅ
तोय भगवान शिव केरोॅ तप करोॅ।
भगवान ब्रह्माजी केरोॅ कहिलानुसार
चन्द्र देव ने भगवान शिव केरोॅ
उपासना करलकै।
जेकरोॅ चलतै चन्द्र देव
शाप से मुक्त हो गेलै।
तख्निये सें है मान्यता छै कि
भगवान चन्द्र है जगहों पर
तपस्या करै लेली ऐलोॅ छेलै।
तपस्या पूरा होला के बाद
भगवान शिव ने चन्द्र देव से
वर मांगै ले कहिलकै
है पर चन्द्र देव ने वर मांगलकै कि
हे! भगवान आपने हमरा
है शाप से मुक्त करि दोहोॅ,
आरोॅ हमरोॅ सबठोॅ अपराध के
क्षमा करि दोहोॅ।
शाप के जड़ी से खतम करना
भगवान शिव लेली भी संभव
नै छेलै।
जेकरोॅ चलतै हुनी बीचला रास्ता निकालकै,
एक महिना में दू पक्ष होय छै
एगोॅ शुक्ल पक्ष आरोॅ दूसरोॅ कृष्ण पक्ष
एगोॅ पक्ष में हुनी शाप से बचलो रहितै
आरोॅ दूसरों पक्ष में हुनका शाप रहितै
कृष्ण पक्ष आरोॅ शुक्ल पक्ष में से
एगोॅ पक्ष में चन्द्र देव केरोॅ रोग
बढ़लो जैतै, ते एगोॅ में घटलोॅ जैतै
चन्द्र देव ने भगवान शिव केरोॅ कृपा करै लेली
हुनको अभार प्रकट करतै हुवै स्तुति करलकै।
तखनिये से है जगहों पर भगवान शिव केरोॅ
पूजा-पाठ करै के शुरुआत होलै।
भगवान शिव सोमनाथ मंदिर में आवी के
सॉसे जगत् में विश्व विख्यात हो गेलै।
देवता सिनी भी है जगहों केॅ
मुड़ी लुकान केॅ नमन करै छै।
है जगहों पर चन्द्र देव भी,
भगवान शिव केरोॅ साथै विराजमान छै।