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अकेले में फगुआ / चंद्रभूषण

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मोरि उचटलि नींद सेजरिया हो

करवट-करवट राति गई।


ना कहुं मुरली ना कहुं पायल

झन-झन बाजै अन्हरिया हो

ना कहुं गोइयां ताल मिलावैं

बेसुर जाय उमरिया हो

करवट-करवट राति गई।


कहवां मोहन कहां राधिका

ब्रज की कवनि डगरिया हो

कहवां फूले कदम कंटीले

कवनि डारि कोइलरिया हो

करवट-करवट राति गई।


एकला मोहन एकली राधिका

भौंचक बीच बजरिया हो

एकली बंधी प्रीत की डोरी

लेत न कोऊ खबरिया हो

करवट-करवट राति गई।


ऊधो तोहरी रहनि बेगानी

एकली सारी नगरिया हो

देहिं उगै जइसे जरत चनरमा

हियरा बजर अन्हरिया हो

करवट-करवट राति गई।


रहन कहौ यहि देस न ऊधो

हमरी जाति अनरिया हो

राही हम कोउ अगम देस कै

चलब होत भिनुसरिया हो

करवट-करवट राति गई।


मोरि उचटलि नींद सेजरिया हो

करवट-करवट राति गई।