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त्रिपदियाँ / मदन कश्यप

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लोकतन्त्र

एक

लोकतन्त्र में तुम्हे हक है
किसी को भी चुन लेना का मगर
कुछ भी बदलने का नहीं

दो

तुम्हे पता भी नहीं होता
तुम्हारे द्वारा चुने जाने के पहले कोई
उसे चुन चुका होता है

तीन

तुम उसको चुनते हो अथवा
वह चुनता है तुमको कि तुम चुनो उसे
ताकि वह राज करे।

चार

तुम सरकार बदल सकते हो
मगर उसे चलाने का अधिकार वे तुम्हे
कभी नहीं देने वाले हैं।

पाँच

बिके हुए लोगो की कोई
कौम नहीं होती ऐसे में उन्हे चुनना
कौम से विश्वासघात करना है।

छः

जब कभी सत्ताधारियों का गिरोह
बन जाता है तब राजतन्त्र से भी
बदतर हो जाता है लोकतन्त्र।