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असर-2 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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हंसे नें
हंसनी सें कहलकै
आदमी के रीढ़ में
भैर गेलै विष ऐत्ती कि
आबेॅ आदमियों भी साँपे नांखि
रंेगेॅ लागलै/टेढ़ोॅ-मेढ़ोॅ।