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अपील / आलोक श्रीवास्तव-१

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पहचानो और पकड़ो उनको

चहरों पर

जो रोज़ नक़ाबें बदल रहे हैं

पहचानो और पकड़ो उनको

भॊली सूरत

प्यारी सूरत

साँवली सूरत

गोरी सूरत

जिनको सूरत समझ रहे हो

सिर्फ़ मुखौटे हैं वो ख़ालिस!

जिनके पीछे

ख़ुदग़र्जी और चालाकी का

एक बहुत भद्दा चहरा है

पहचानो और पकड़ो उनको

नोंचो उसको।